क्या एआई का अति-प्रचार हो रहा है या कम?


 जानिए तथ्य और कल्पना को अलग करने के संकेत

28 अगस्त 2025। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को लेकर आज दुनिया में सबसे ज़्यादा बहस है – क्या यह वाकई क्रांतिकारी है या केवल “हाइप”? इस पर दिग्गज विशेषज्ञों की राय भी बंटी हुई है।

विशेषज्ञों में मतभेद

एमआईटी के नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री डेरॉन ऐसमोग्लू कहते हैं कि एआई को लेकर अत्यधिक शोर-शराबा है।

वहीं, गूगल के पूर्व सीईओ एरिक श्मिट का मानना है कि असल में हम इसकी वास्तविक शक्ति को कम आंक रहे हैं।

ऐसमोग्लू का तर्क: प्रभाव सीमित

उनके अनुसार, अगले दशक में एआई सिर्फ 5% कार्यों को स्वचालित कर पाएगा और वैश्विक जीडीपी में केवल 1% की वृद्धि ला सकेगा। उन्होंने कहा कि एआई को अभी मुख्यतः लागत घटाने के उपकरण की तरह देखा जा रहा है, न कि किसी बड़े नवाचार इंजन की तरह। 1990 के दशक के इंटरनेट प्रभाव से तुलना करते हुए ऐसमोग्लू कहते हैं कि एआई का असर अभी उतना स्पष्ट और बड़ा नहीं दिखता। उनका मानना है कि उद्योग ने अभी तक ऐसे अनुप्रयोग विकसित नहीं किए हैं जो उत्पादन प्रक्रिया के लिए बेहद अहम हों। मौजूदा एआई तकनीक अधिकतर पूर्वानुमान और सीमित कार्यों तक सिमटी हुई है। अर्थव्यवस्था का लगभग 20% हिस्सा एआई से प्रभावित या स्वचालित हो सकता है, लेकिन इसका जनरलाइज असर अभी दूर है।

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